जो जहां था वही रुका और लाइट बन्द कर निभाई मॉक ड्रिल में भूमिका

राजगढ़: शुक्रवार की शाम जैसे ही घड़ी ने 7:30 का समय दिखाया, पूरा राजगढ़ नगर अंधेरे में डूब गया। यह कोई तकनीकी खराबी या आपदा नहीं थी, बल्कि एक सुनियोजित मॉक ड्रिल थी — एक ऐसा अभ्यास जिससे किसी भी आपातकालीन स्थिति में प्रशासन और आम जनता की तैयारियों को परखा जाता है।
राजगढ़ नगर पालिका द्वारा आयोजित इस मॉक ड्रिल का उद्देश्य था — यह देखना कि अगर अचानक कोई आपदा आ जाए, जैसे कि आतंकी हमला, बिजली ग्रिड फेल हो जाना, या प्राकृतिक आपदा, तो प्रशासन और नागरिक किस हद तक तैयार हैं।
दिनभर दी गई समझाइश, मोहल्ला समितियों से चर्चा
ड्रिल से पहले पूरे दिन नगर पालिका और प्रशासन ने मिलकर लोगों को जागरूक किया। अलग-अलग मोहल्लों में समितियाँ बनाईं गईं और बताया गया कि ऐसे हालात में घबराएं नहीं, बल्कि संयम से काम लें। नागरिकों को समझाया गया कि लाइट बंद करने के साथ घर के अंदर ही रहें और जब तक सायरन फिर से न बजे, तब तक बिजली उपकरणों का इस्तेमाल न करें।
सहयोग में आगे आया पूरा शहर
जैसे ही 7:30 बजे सायरन बजा, पूरे शहर की लाइट बंद कर दी गई। लोगों ने प्रशासन की अपील को गंभीरता से लिया। घरों में बैठे लोगों ने बल्ब तक बंद कर दिए, और जो रास्ते में थे, वो वहीं रुक गए और गाड़ियों की हेडलाइट भी बंद कर दी। यह सहयोग इस बात का संकेत था कि आपदा के समय में एकजुटता और अनुशासन कितना जरूरी होता है।
मॉक ड्रिल क्यों जरूरी है?
मॉक ड्रिल एक पूर्वाभ्यास होता है जो हमें यह सिखाता है कि आपदा आने से पहले कैसी तैयारियां करनी हैं।
इससे प्रशासन को अपनी व्यवस्थाएं परखने का मौका मिलता है — क्या ऐम्बुलेंस समय पर पहुंच पाएगी? क्या पुलिस टीम्स एक्टिव हैं? क्या सूचना तंत्र ठीक से काम कर रहा है?
आम नागरिकों के लिए यह अभ्यास एक शिक्षा की तरह होता है — जिससे वे घबराने की बजाय ठंडे दिमाग से स्थिति का सामना करना सीखते हैं।
क्या हैं मॉक ड्रिल के फायदे?
तुरंत प्रतिक्रिया की क्षमता बढ़ती है।
असली आपदा आने पर नुकसान कम होता है।
प्रशासन और जनता के बीच समन्वय बेहतर होता है।
कमजोरियों की पहचान कर समय रहते सुधार किया जा सकता है।
राजगढ़ की यह मॉक ड्रिल सिर्फ एक अभ्यास नहीं थी, यह एक संदेश था — कि अगर हम तैयार हैं, तो किसी भी आपदा को मात दे सकते हैं। और इसमें सबसे बड़ी भूमिका निभाई नगर के नागरिकों ने, जिनका सहयोग यह साबित करता है कि जागरूकता और जिम्मेदारी साथ हो, तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती।