
मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले, जो कि राजस्थान की सीमा पर स्थित है, को कभी पिछड़े जिलों में गिना जाता था। हाल के वर्षों में यहां विकास कार्यों में तेजी आई है और सरकार द्वारा करोड़ों रुपये खर्च किए गए हैं।
इसके बावजूद, जिला मुख्यालय से महज 3 किलोमीटर की दूरी पर बसे एक गांव की तस्वीर अलग ही कहानी बयां करती है। यहां के निवासी आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं। रोजगार की तलाश में गांव के युवक और परिवार दूर-दराज के इलाकों में मजदूरी करने को मजबूर हैं।
आर्थिक तंगी का सबसे गहरा असर बच्चों की शिक्षा पर पड़ा है। कई बच्चे पढ़ाई बीच में छोड़ने को मजबूर हो गए हैं। शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) लागू होने के बावजूद, न तो कोई जिम्मेदार अधिकारी, न कोई जनप्रतिनिधि, और न ही कोई सामाजिक संगठन इस गांव की स्थिति जानने की कोशिश कर पाया।
सरकारी दावों और जमीनी हकीकत के बीच यह गांव आज भी विकास की राह देख रहा है।
