राजगढ़ में शराब की लत या सरकारी आमदनी का जरिया?

राजगढ़, | InsightsStory.News
मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले में वर्ष 2025-26 के लिए शराब दुकानों के टेंडर 263 करोड़ रुपये से अधिक में हुए हैं। ज़िला आबकारी विभाग के दस्तावेज़ के मुताबिक कुल 12 शराब समूहों के लिए 263,14,97,297 रुपये की वार्षिक अनुमानित बिक्री तय की गई है। इसका सीधा मतलब है कि अगले एक साल में राजगढ़ ज़िले के लोग लगभग 263 करोड़ रुपये की शराब पी जाएंगे।
क्या कहते हैं आंकड़े?
कुल 157 दुकानों को शामिल किया गया है।
सबसे महंगे टेंडर जीरापुर समूह (58.89 करोड़) और ब्यावरा स्टेट समूह (50.87 करोड़) के रहे।
सबसे सस्ता टेंडर खजुरनेर समूह (10.10 करोड़) में हुआ।
इन ठेकों पर 5% वार्षिक सुरक्षा राशि और 10% बैंक गारंटी ली गई है।
प्रश्न खड़े होते हैं:
क्या यह आंकड़े जिले की शराब पर निर्भरता को नहीं दिखाते?
क्या इतनी बड़ी राशि समाज पर शराब के असर को लेकर गंभीर सोच की मांग नहीं करती।
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता कहते हैं:
“हर साल सरकार को राजस्व चाहिए, पर इसके पीछे समाज में शराब की बर्बादी बढ़ती जा रही है। युवाओं और गरीब वर्ग पर इसका गहरा असर पड़ता है।”
सरकारी पक्ष:
आबकारी विभाग के मुताबिक ये टेंडर पारदर्शी प्रक्रिया के तहत होते हैं और इससे सरकार को भारी राजस्व मिलता है, जिसका उपयोग जनकल्याणकारी योजनाओं में किया जाता है।