बैठक में दिए आवश्यक निर्देश

राजगढ़।
देशभर में जब युद्ध जैसे हालातों के बीच सीजफायर की घोषणा हुई है, ऐसे समय में राजगढ़ जिला प्रशासन ने सतर्कता और सामाजिक एकता की मिसाल पेश की है। किसी भी संभावित आपात स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन ने सभी वर्गों और धर्मों के लोगों के साथ मिलकर रणनीति तैयार की है।
पुलिस कंट्रोल रूम में आयोजित एक विशेष बैठक में एसडीओपी अरविंद सिंह और एसडीएम रत्नेश श्रीवास्तव की मौजूदगी में प्रशासनिक अधिकारियों ने हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई समाज के प्रतिनिधियों, व्यापारियों, गैस एजेंसियों, केमिस्ट संघ, ठेकेदारों और विभिन्न धार्मिक-सामाजिक संस्थाओं के साथ संवाद किया।

वीडियो क्लिप के माध्यम से जनता को दी गई स्पष्ट हिदायतें:
-रेड अलर्ट सायरन बजने पर दो मिनट तक कम-ज़्यादा आवाज़ सुनाई देगी – यह संकेत होगा ब्लैकआउट की शुरुआत का।
– नागरिकों को अपने घर, दुकान, दफ्तर और संस्थानों की सभी लाइटें बंद करने का अनुरोध किया गया।
– वाहन चालकों से कहा गया कि वे तुरंत वाहन रोकें और हेडलाइट-ब्रेकलाइट बंद कर दें।
– जब ग्रीन अलर्ट सायरन (समान आवाज़) बजेगा, तब वह “ऑल क्लियर सिग्नल” होगा और रोशनी पुनः चालू की जा सकेगी।
विशेष प्रबंधन: मोहल्ला समितियाँ तैयार, जनता से सीधा संवाद
स्थिति की गंभीरता को समझते हुए प्रशासन ने हर मोहल्ले में “स्थानीय सहयोग समिति” के गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस समिति में सभी जातियों, वर्गों, पेशों और समुदायों से जिम्मेदार लोग शामिल किए जा रहे हैं।
– समिति का संचालन तहसीलदार और नगर पालिका सीएमओ की निगरानी में होगा।
– इन समितियों के पास प्रशासन और पुलिस से सीधा संपर्क रहेगा।
– जरूरतमंदों को सहायता पहुँचाने, सूचना देने और शांति बनाए रखने की जिम्मेदारी इन समितियों की होगी।
– यह व्यवस्था सामाजिक विश्वास, पारदर्शिता और आपसी समर्पण की भावना को बढ़ावा देती है।

राजगढ़ का संदेश: “हम एकजुट हैं, तैयार हैं”
– सीजफायर की घोषणा के बाद यदि परिस्थितियाँ बदलती भी हैं, तो राजगढ़ की तैयारी संपूर्ण और समर्पित है। प्रशासन और समाज के बीच बना यह समन्वय दिखाता है कि हम किसी भी संकट का सामना एकजुट होकर कर सकते हैं। यह मॉडल न केवल जिले के लिए, बल्कि पूरे राज्य के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण बन सकता है।
