बुधवार 30 अप्रेल से धूमधाम से होगा यात्रा का आगाज

अक्षय तृतीया का शुभ अवसर और हिमालय की गोद में बसे चार पवित्र धाम—यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ। इस साल 30 अप्रैल से शुरू हो रही चारधाम यात्रा केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि आत्मा की शुद्धि और मोक्ष की कामना का पवित्र पर्व है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हर साल इस यात्रा की शुरुआत यमुनोत्री से ही क्यों होती है?

यमनोत्री
यमुनोत्री: जहां से शुरू होती है मुक्ति की यात्रा
यमुनोत्री सिर्फ एक तीर्थ नहीं, बल्कि वो स्थान है जहाँ से मोक्ष की कहानी शुरू होती है। यह स्थान माता यमुना का उद्गम स्थल है, जो यमराज की बहन मानी जाती हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भाई दूज के दिन यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने आए थे और उन्हें आशीर्वाद दिया था कि जो भी यमुना में स्नान करेगा, वह पापों से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त करेगा।

गंगोत्री
इसलिए, चारधाम यात्रा की शुरुआत यमुनोत्री से करना केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धि की पहली सीढ़ी है। मान्यता है कि यमुनोत्री में स्नान करने से यात्रा निर्विघ्न होती है और भक्तों को ईश्वर की अनंत कृपा प्राप्त होती है।

केदार नाथ
यात्रा नहीं, आत्मा की पुकार है चारधाम
हर साल लाखों श्रद्धालु इस दिव्य यात्रा पर निकलते हैं, लेकिन इसका पहला कदम यमुनोत्री की ओर ही क्यों बढ़ता है—इसका जवाब हमारे विश्वास, हमारी आस्था और हमारी परंपरा में छुपा है।
