“रेलवे प्रोजेक्ट या खनिज लूट ?
रामगंज मंडी से भोपाल तक रेल लाइन की आड़ में जमकर खनन, ठेकेदारों की मनमानी, अफसरों की चुप्पी, नेताओं की चुप्पी – आखिर सच्चाई से कौन डरा है
राजगढ़।
मध्य प्रदेश के विकास का दावा करने वाली रामगंज मंडी से भोपाल तक की 292 किलोमीटर लंबी रेल लाइन अब घोटाले की पटरी पर दौड़ रही है! इस प्रोजेक्ट के नाम पर जमीन खोदी जा रही है, लेकिन निकल रहा है ‘सोना’ – काले पत्थर के रूप में। और इस ‘सोने’ की लूट हो रही है सरेआम… बेखौफ… बेधड़क।

करोड़ों का पत्थर, ठेकेदारों की कमाई, सरकारी खामोशी – किसके इशारे पर हो रही है ये लूट?
इस प्रोजेक्ट के दौरान मुरम और काले पत्थर की खुदाई हो रही है। यह पत्थर, जो खनिज विभाग के अधीन आता है और सरकारी संपत्ति है, दिन के उजाले में ट्रकों में भरकर सीधे निजी क्रेशर मशीनों और ठेकेदारों के यार्ड तक पहुँच रहा है। कोई रोक नहीं, कोई जांच नहीं — बस लूट का खुला खेल चल रहा है!
रेलवे खुद मान चुका है — “हमारे पत्थर चोरी हो रहे हैं”
रेलवे अधिकारियों ने खुद पुलिस और जिला प्रशासन से शिकायत की है कि प्रोजेक्ट से निकला कीमती पत्थर चोरी हो रहा है। लेकिन हैरानी की बात ये है कि ये चोरी रात के अंधेरे में नहीं, बल्कि दिनदहाड़े हो रही है! यानी ये ‘चोरी’ नहीं, बल्कि ‘सांठगांठ’ है — सिस्टम के अंदर की मिलीभगत।

खनिज विभाग का जवाब – “अगर ज्यादा खुदाई हुई तो देखेंगे!”
खनिज विभाग का रुख और भी हैरान करने वाला है। विभाग कह रहा है कि अगर तय मात्रा से ज्यादा खुदाई हुई होगी तो कार्रवाई करेंगे! सवाल उठता है — “कार्रवाई कब? और तब जब सब लुट चुका होगा?”
नेता भी खामोश – सत्ता-पक्ष और विपक्ष दोनों मौन!
ऐसे गंभीर मामले में जहाँ करोड़ों का नुकसान हो रहा है, वहाँ न तो कोई जनप्रतिनिधि सामने आ रहा है, न कोई जांच की मांग। क्या सबकी आंखों पर सत्ता की पट्टी बंधी है? या कहीं न कहीं सबको हिस्सेदारी है?