“सपना पुलिस की वर्दी पहनने का था, लेकिन रास्ता चुना फर्जीवाड़े का — जब एक अंगुली के निशान ने उधेड़ दी पहचान की पूरी चादर

राजगढ़। मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी और सख्त माने जाने वाली पुलिस भर्ती परीक्षा में ऐसा फर्जीवाड़ा सामने आया है, जिसने सिस्टम की नींव तक को हिला दिया है। राजगढ़ जिले में एक ऐसे शातिर अभ्यर्थी का भंडाफोड़ हुआ है जिसने न सिर्फ अपने आधार कार्ड का डेटा बदलवाया, बल्कि किसी और की जगह परीक्षा देकर सरकारी नौकरी पाने की एक खतरनाक साजिश रच डाली।
ये कोई मामूली केस नहीं है — इसमें नाम बदला गया, फोटो बदली गई, यहां तक कि बायोमेट्रिक डेटा तक से छेड़छाड़ की कोशिश की गई। लेकिन कहते हैं ना, “अपराध कितना भी चतुर हो, सच का निशान कहीं न कहीं छूट ही जाता है”। इस मामले में वो निशान बनी एक अंगुली — जिसकी पहचान ने पूरे खेल की पोल खोल दी।
राजगढ़ पुलिस को जैसे ही संदेह हुआ, उन्होंने तकनीकी जांच का दायरा बढ़ाया और UIDAI डेटा, अंगुली चिन्ह, आधार विवरण और फोटो मिलान जैसी हाई-टेक जांच से साबित कर दिया कि परीक्षा में बैठा शख्स असली नहीं, बल्कि एक ‘भाड़े का उम्मीदवार’ था। इसके पीछे सिर्फ एक नहीं, बल्कि तीन लोग शामिल थे, जो मिलकर सरकारी तंत्र को धोखा देने की तैयारी में थे।
यह कहानी सिर्फ एक भर्ती घोटाले की नहीं है, बल्कि यह सवाल खड़ा करती है कि क्या हमारी नौकरियों की व्यवस्था इतनी कमजोर हो गई है कि एक फर्जी आधार कार्ड और बदले गए नाम से कोई वर्दीधारी बन सकता है?
अब जबकि आरोपी सलाखों के पीछे है, यह मामला भर्ती प्रणाली की पारदर्शिता और बायोमेट्रिक सुरक्षा की प्रासंगिकता को फिर से बहस के केंद्र में ला खड़ा करता है।